[Viswamitra protects Sunassepha and continues his austerities.]
शुनश्शेफं नरश्रेष्ठ गृहीत्वा तु महायशा:।
व्यश्राम्यत् पुष्करे राजा मध्याह्ने रघुनन्दन।।1.62.1।।
शुनश्शेफं नरश्रेष्ठ गृहीत्वा तु महायशा:।
व्यश्राम्यत् पुष्करे राजा मध्याह्ने रघुनन्दन।।1.62.1।।