[Instigated by Manthara, Kaikeyi enters the chamber of wrath.]
एवमुक्ता तु कैकेयी क्रोधेन ज्वलितानना।
दीर्घमुष्णं विनिश्वस्य मन्थरामिदमब्रवीत्।।2.9.1।।
एवमुक्ता तु कैकेयी क्रोधेन ज्वलितानना।
दीर्घमुष्णं विनिश्वस्य मन्थरामिदमब्रवीत्।।2.9.1।।
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