[Rama takes leave of Sutikshna]
रामस्तु सहसौमित्रिस्सुतीक्ष्णेनाभिपूजितः।
परिणाम्य निशां तत्र प्रभाते प्रत्यबुध्यत।।3.8.1।।
रामस्तु सहसौमित्रिस्सुतीक्ष्णेनाभिपूजितः।
परिणाम्य निशां तत्र प्रभाते प्रत्यबुध्यत।।3.8.1।।
Copyright © 2024,
Design by Zymphonies